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सुंदरकांड

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Description

सुंदरकांड के विषय में

सुंदरकांड रामचरितमानस का पवित्र और विशिष्ट अध्याय है, जो भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त हनुमान जी की अद्वितीय लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान श्रीराम के आदर्श, हनुमान जी के बल, बुद्धि, भक्ति और शौर्य को प्रस्तुत करता है।

सुंदरकांड, तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का पांचवां अध्याय है। इसमें हनुमान जी द्वारा सीता माता की खोज और लंका दहन की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। यह कांड न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन में आत्मबल, संकल्प, और भक्ति की शक्ति को भी प्रकट करता है।

सुंदरकांड का महत्व

  1. भक्ति का प्रतीक
    सुंदरकांड, हनुमान जी की निष्ठा और भगवान श्रीराम के प्रति उनके अनन्य समर्पण को दर्शाता है। यह भक्ति का सर्वोच्च उदाहरण है।
  2. संकट हरने वाला कांड
    सुंदरकांड का पाठ जीवन के सभी संकटों को दूर करने वाला और मन को शांति प्रदान करने वाला माना जाता है।
  3. हनुमान जी की महिमा
    सुंदरकांड में हनुमान जी के अद्वितीय बल, बुद्धि, और पराक्रम का वर्णन है। इसे पढ़ने या सुनने से भक्तों को आत्मविश्वास और साहस मिलता है।

सुंदरकांड की विशेषताएं

  • प्रेरणा का स्रोत: हनुमान जी के साहसिक कार्य, जैसे समुद्र पार करना और लंका में सीता माता की खोज, हमें जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।
  • संकल्प की शक्ति: सुंदरकांड सिखाता है कि दृढ़ संकल्प और भगवान पर अटूट विश्वास से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं।
  • दुष्टता का अंत: यह अध्याय यह भी दर्शाता है कि ईश्वर का अनुग्रह और सही मार्ग पर चलने से सभी प्रकार की दुष्ट शक्तियों का नाश होता है।

सुंदरकांड का पाठ क्यों करें?

  • सुंदरकांड का पाठ हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों को समाप्त करता है।
  • यह मन और शरीर को शुद्ध करता है, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
  • यह भगवान हनुमान जी और श्रीराम जी की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।

हमारी सेवाएं

हमारी संस्था ‘श्रद्धा’ में अनुभवी पंडितों द्वारा शास्त्रीय विधि से सुंदरकांड का आयोजन किया जाता है। हम इसे आपके घर, कार्यालय, या किसी भी शुभ अवसर पर विधिपूर्वक संपन्न करते हैं।

Additional information

CIty

Other then shajapur, Shajapur

Benefits

सुंदरकांड के लाभ

सुंदरकांड का पाठ और श्रवण न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करता है, बल्कि जीवन की समस्याओं का समाधान करने और सकारात्मकता का संचार करने में भी सहायक होता है। यह भगवान श्रीराम और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का उत्तम साधन है।

1. मानसिक शांति और सकारात्मकता

सुंदरकांड का पाठ मन को शांति प्रदान करता है और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है। यह नकारात्मक विचारों और तनाव को दूर कर, मानसिक बल और धैर्य बढ़ाने में सहायक है।

2. संकट और बाधाओं का निवारण

सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक है जो जीवन में किसी प्रकार की समस्या, बाधा, या संकट का सामना कर रहे हों। यह पाठ संकट मोचक हनुमान जी की कृपा से हर प्रकार की बाधा को दूर करता है।

3. आत्मबल और साहस का विकास

हनुमान जी के साहस और पराक्रम का वर्णन सुंदरकांड में किया गया है। इसका पाठ आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति हर चुनौती का सामना कर सकता है।

4. रोगों और दोषों का निवारण

सुंदरकांड के नियमित पाठ से घर या कार्यालय में उत्पन्न वास्तुदोष, ग्रह दोष, और रोगों के प्रभाव को दूर किया जा सकता है। यह पाठ घर में स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देता है।

5. भक्ति और ईश्वर का आशीर्वाद

सुंदरकांड व्यक्ति के भीतर भक्ति की भावना को जागृत करता है और भगवान श्रीराम और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम बनता है।

6. परिवार में सुख-शांति का संचार

सुंदरकांड का पाठ पारिवारिक जीवन में मेल-मिलाप और सद्भाव बढ़ाता है। यह घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और समझ को प्रोत्साहित करता है।

7. दुष्ट शक्तियों और नकारात्मकता का नाश

सुंदरकांड के मंत्र और श्लोकों की दिव्य ऊर्जा दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है, जिससे घर या प्रतिष्ठान का वातावरण शुद्ध और शांतिपूर्ण हो जाता है।

8. व्यवसाय और समृद्धि में वृद्धि

व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सुंदरकांड के आयोजन से व्यापारिक उन्नति होती है। यह आर्थिक समृद्धि और व्यापार में स्थिरता लाने में सहायक है।

9. आध्यात्मिक जागरण और उन्नति

सुंदरकांड के नियमित पाठ से आत्मा की शुद्धि होती है और व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पाठ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

Process

Puja Samagri

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था :-

 

नारियल – 2

 

नाड़ा (आटी) – 1

 

कपूर (देसी) – 50 ग्राम

 

फूलबत्ती – 1 पैकेट

 

धूप बत्ती – 1 पैकेट

 

माचिस – 1

 

लाल कपड़ा – 1

 

शहद शीशी – 1

 

पेंच मेवा (काजू, बादाम, पिस्ता, चारौली आ दि)स्वेच्छानुसार

 

कंकु, अष्टगंध, अबीर, गुलाल, सिंदूर

 

11 शुद्ध देशी घीं – 100 ग्राम

 

जनेऊ -2

 

चावल (आखा) – 250 ग्राम

 

शक्कर50 ग्राम “पंचामृत हेतु)

 

 

चना, चिरौंजीस्वेच्छानुसार

 

इत्र शिशी – 1

 

हार (एक बड़ा हार एक छोटा) – 2

 

फूल (गेंदा, गुलाब आदि)स्वेच्छानुसार

 

पान के पत्ते – 2

 

ऋतुफल (पांच प्रकार के)स्वेच्छानुसार

 

मिठाई (प्रसाद हेतु) -“स्वैच्छिक”

 

दुध, दही, (पंचामृत हेतु)स्वेच्छानुसार

 

तांबे के कलश (घरेलु समान) – 2

 

पूजा की थाली (घरेलु) – 2

 

कटोरी (घरेलु) – 2

पचामृत हतु पात्र (घरलु) – 1

 

चम्मच (घरेलु) – 2

 

पाटला (पूजन हेतु) – 1

 

मिट्टी के दीपक (घरेलु) -3

 

चाकू -1

 

तुलसी के पत्ते (सूर्यास्त के पूर्व तोड़े हुए) – 4-5

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