Description
About Puja :-
सत्यनारायण पूजा हिन्दू धर्म में परम पूजनीय और मंगलकारी पूजा मानी जाती है, जो भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप को समर्पित होती है। यह पूजा जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण के लिए की जाती है। सत्यनारायण पूजा में भगवान सत्यनारायण की कथा का वाचन और विशेष अनुष्ठान द्वारा आराधना की जाती है, जिससे भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस पूजा का महत्व हमारे धर्मग्रंथों में बताया गया है और इसे शुभ कार्यों, जैसे गृहप्रवेश, विवाह, संतान प्राप्ति, या अन्य विशेष अवसरों पर करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
भगवान सत्यनारायण का स्वरूप सत्य, न्याय, और धार्मिकता का प्रतीक है। यह पूजा विशेषतः उन व्यक्तियों द्वारा की जाती है जो अपने जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और मानसिक शांति की कामना करते हैं। सत्यनारायण पूजा की कथा के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आता और उसका जीवन खुशियों से भर जाता है।
Benefits :-
सत्यनारायण पूजा का महत्व:
- इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और नकारात्मकता का नाश करता है।
- यह पूजा परिवार में शांति और सौहार्द्र बनाए रखने में सहायक होती है।
- विष्णु भगवान के इस रूप की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, और धन का निवास होता है।
- मान्यता है कि यह पूजा कठिन समय में भी संबल प्रदान करती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
Process :-
सत्यनारायण व्रतकथा में पूजन प्रक्रिया
सत्यनारायण व्रतकथा की पूजा विधि में विशिष्ट अनुष्ठान होते हैं, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। SHRADDHA द्वारा इस व्रतकथा का आयोजन वैदिक विधियों और मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है, जो हर चरण में पवित्रता और धार्मिकता बनाए रखता है।
सत्यनारायण पूजा की प्रक्रिया इस प्रकार है:
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ – पूजा के शुभारंभ में शांति और मंगल कामना के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण।
- प्रतिज्ञा संकल्प – पूजा का संकल्प लिया जाता है, जिसमें पूजा के उद्देश्य और इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान को आह्वान किया जाता है।
- गणपति एवं गौरी पूजन – गणेश जी एवं माता गौरी का पूजन, विघ्नों के निवारण और मंगलकारी वातावरण के लिए।
- कलश स्थापन एवं देवता पूजन – कलश की स्थापना कर वरुण देवता का आवाहन और पूजन किया जाता है।
- षोडशमातृका, सप्तघृतमातृका एवं नवग्रह पूजन – मातृका, नवग्रहों और अन्य महत्वपूर्ण देवताओं की पूजा की जाती है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने में सहायक होती है।
- शालिग्राम शिला या लड्डू गोपाल पूजन – शालिग्राम शिला या लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है, भगवान विष्णु की उपासना के रूप में।
- सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ – सत्यनारायण व्रतकथा के पांच अध्यायों का विधिवत पाठ किया जाता है, जो भक्ति और श्रद्धा से भरे होते हैं।
- हवन विधि – पंचभूत, अग्नि ध्यान, आधार आहुति और अन्य आहुति प्रदान कर हवन किया जाता है, जो व्रत की शुद्धि और पूर्णता के लिए आवश्यक होता है।
- द्रव्यत्याग (वराहुति) एवं नवग्रह हवन – नवग्रहों का पूजन और विशेष हवन, जिसमें ग्रहों की कृपा प्राप्ति के लिए द्रव्यों का त्याग किया जाता है।
- अग्नि पूजन एवं स्विष्टकृत आहुति – अग्नि का उत्तर पूजन और विशेष आहुतियों का समर्पण, जिससे शुद्धिकरण और कल्याण की भावना का संचार होता है।
- प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि एवं क्षमा प्रार्थना – पूजा समाप्ति पर सभी देवताओं की प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि और क्षमा याचना की जाती है।
- आवाहित देवताओं का विसर्जन – पूजा में आवाहित सभी देवताओं का सम्मानपूर्वक विसर्जन।
- रक्षाबंधन, तिलक एवं आशीर्वाद – सभी उपस्थित व्यक्तियों का तिलक कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है और रक्षाबंधन का विधान होता है।
- प्रसाद वितरण एवं तुलसी ग्रहण – अंतिम चरण में भक्तगण प्रसाद ग्रहण करते हैं और तुलसी दल का सेवन करते हैं।
यह विधि श्रद्धा के तहत वैदिक मंत्रों और नियमों का पालन करते हुए संपन्न की जाती है, जिससे भक्तों को भगवान सत्यनारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Puja Samagri :-
SHRADDHA द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री
पूजन सामग्री:
- कलावा, रोली
- सिन्दूर, हल्दी
- लवंग, इलायची
- अबीर, गुलाल
- सुपारी, पञ्चमेवा
- अभ्रक, गुलाबजल
- गंगाजल, इत्र
- शहद, धूपबत्ती
- रुई, रुई बत्ती
- यज्ञोपवीत, पीली सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- बड़ा साइज दोना
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगंध चन्दन, गरी गोला
- छोटे चावल
- मिट्टी का दीपक
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- मिश्री, पञ्चरत्न
- सूती पीला कपड़ा
- पंचगव्य गोघृत
हवन सामग्री और यज्ञ सामग्री:
- काला तिल
- चावल, कमलगट्टा
- हवन सामग्री, गुग्गुल
- घी, पान के पत्ते
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उड़द
- पूर्णपात्र (कटोरी या भगोनी)
- हवन कुण्ड तांबे का (10×10 इंच या 12×12 इंच)
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय (पूजा के लिए एक सेट)
- पिसा हुआ चन्दन, नवग्रह समिधा
- हवन समिधा, घृत पात्र
- कुशा, पंच पात्र
यजमान द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:
- वेदी निर्माण हेतु 2×2 की चौकी
- गाय का दूध (100ML), दही (50ML)
- आवश्यकतानुसार मिष्ठान्न
- विभिन्न प्रकार के फल
- दूर्वादल (घास) – 1 मुट्ठी
- पान का पत्ता – 7
- विभिन्न पुष्प – 2 किलो
- पुष्पमाला – 7 (विभिन्न प्रकार की)
- आम का पल्लव – 2, विल्वपत्र – 21
- तुलसी पत्र – 7, पानी वाला नारियल
- शमी पत्र और फूल
- पंजीरी, केला, पंचामृत
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2
- अखण्ड दीपक – 1
- तांबा या पीतल का कलश (ढक्कन सहित)
- देवताओं के वस्त्र – गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी, चादर, आसन
- गोदुग्ध, गोदधि
यह सभी सामग्री SHRADDHA द्वारा संपूर्ण विधि और शुद्धता के साथ आपकी सेवा में उपलब्ध कराई जाती है, जिससे आपकी पूजा पूरी विधिपूर्वक संपन्न हो सके।
Reviews
There are no reviews yet.