Description
About Puja :-
व्यपोहन स्तोत्र का परिचय
भगवान् शिव का स्तवन साधक के जीवन को पवित्र और पापमुक्त बनाने वाला है। श्रीलिंगपुराण के 82वें अध्याय में वर्णित व्यपोहन स्तोत्र ऐसा ही एक अद्भुत स्तोत्र है, जो साधक के भीतर छिपे सभी दोषों और पापों को नष्ट कर उसे शुभता, यश, और मनोकामनाओं की सिद्धि प्रदान करता है।
“व्यपोहन” का अर्थ
“वि” का अर्थ है विशिष्टता और “अपोहन” का अर्थ है दूर करना। इस प्रकार, यह स्तोत्र साधक के जीवन में विद्यमान समस्त पाप, विघ्न, और दोषों को विशेष रूप से दूर करता है, उसे पवित्रता और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करता है।
महत्व और महात्म्य
यह स्तोत्र भगवान् शिव के आशुतोष स्वरूप की महिमा का विस्तार करता है। कहा गया है कि सूतजी ने यह स्तोत्र ऋषियों से साझा किया, जिसे स्वयं सनत्कुमार ने महर्षि व्यास को सुनाया। इसका नियमित जाप या अनुष्ठान साधक को अनेक सिद्धियों की प्राप्ति और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
विशेषताएँ
- मनोकामना पूर्ति:
यह स्तोत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए फलदायी है जो कन्या संतान की अभिलाषा रखते हैं या अपने जीवन में कोई विशेष सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं।
- पाप निवारण:
इसमें भगवान् शिव के साथ माता पार्वती, भगवान् स्कंद, द्वादश आदित्य, और पंचमहाभूतों से प्रार्थना की गई है। यह साधक को ज्ञात-अज्ञात सभी पापों से मुक्त करता है।
- दोषों का शमन:
स्तोत्र का प्रभाव साधक के हृदय को शुद्ध और निर्मल बनाता है। यह उसकी सभी अरिष्टों को नष्ट कर जगत में यश और प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक शांति:
भगवान् शिव और भगवती उमा की कृपा से साधक को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
निष्कर्ष:
व्यपोहन स्तोत्र का अनुष्ठान साधक के जीवन में सर्वांगीण कल्याण लाता है। यह केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि साधना और शिव कृपा का एक दिव्य मार्ग है, जो साधक को पवित्रता, समृद्धि, और शाश्वत शांति की ओर ले जाता है।
Benefits
व्यपोहन स्तोत्र पाठ का माहात्म्य :-
- इस स्तोत्र के पाठ से साधक भगवान् शिव की कृपा से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्त होता है और जीवन में विजय प्राप्त करता है।
- यह स्तोत्र यजमान की सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है और उसे जीवन में सुख-संपत्ति प्रदान करता है।
- अपमृत्यु का निवारण करता है और सर्प भय, शत्रु भय, एवं अन्य अकाल संकटों से रक्षा करता है।
- यह स्तोत्र पाठ साधक को संतति सुख (पुत्र व कन्या प्राप्ति) प्रदान करने में सहायक होता है।
- गौहत्या, ब्रह्महत्या, विश्वासघात, एवं अन्य बड़े पापों से ग्रस्त व्यक्ति इस स्तोत्र के प्रभाव से पापमुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
- इस स्तोत्र के अनुष्ठान से साधक को धन, वैभव, विद्या, मान-सम्मान, एवं सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- शिवलोक की प्राप्ति और सांसारिक बंधनों से मुक्ति के लिए यह स्तोत्र साधक के लिए अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होता है।
“शिवकृपया सर्वं सिद्ध्यति”
Process
व्यपोहन स्तोत्र पाठ का माहात्म्य :-
- इस स्तोत्र के पाठ से साधक भगवान् शिव की कृपा से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्त होता है और जीवन में विजय प्राप्त करता है।
- यह स्तोत्र यजमान की सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है और उसे जीवन में सुख-संपत्ति प्रदान करता है।
- अपमृत्यु का निवारण करता है और सर्प भय, शत्रु भय, एवं अन्य अकाल संकटों से रक्षा करता है।
- यह स्तोत्र पाठ साधक को संतति सुख (पुत्र व कन्या प्राप्ति) प्रदान करने में सहायक होता है।
- गौहत्या, ब्रह्महत्या, विश्वासघात, एवं अन्य बड़े पापों से ग्रस्त व्यक्ति इस स्तोत्र के प्रभाव से पापमुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
- इस स्तोत्र के अनुष्ठान से साधक को धन, वैभव, विद्या, मान-सम्मान, एवं सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- शिवलोक की प्राप्ति और सांसारिक बंधनों से मुक्ति के लिए यह स्तोत्र साधक के लिए अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होता है।
“शिवकृपया सर्वं सिद्ध्यति”
Puja Samagri
श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) – 1मुठ
- पान का पत्ता – 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- पानी वाला नारियल
- तुलसी पत्र –7
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2 आदि
- अखण्ड दीपक –1
- देवताओं के लिए वस्त्र – गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि
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