Description
About Puja :-
पाशुपतास्त्र स्तोत्र का माहात्म्य
हमारे वेदों और पुराणों में बहुत से अद्भुत स्तोत्र, मंत्र और शास्त्र मिलते हैं, जिनमें से पाशुपतास्त्र स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ है। यह भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए समर्पित एक अद्वितीय स्तोत्र है, जो न केवल दैहिक, मानसिक और भौतिक संकटों का नाश करता है, बल्कि असाध्य रोगों से भी मुक्ति दिलाता है। यह स्तोत्र अग्निपुराण के 322वें अध्याय में उल्लेखित है और अत्यंत शीघ्र फल देने वाला माना जाता है।
यह स्तोत्र नियमित रूप से पढ़ने से साधक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की वृष्टि होती है। इसका पाठ करने से भगवान शिव अपने भक्तों से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और उनके जीवन में उत्पन्न सभी प्रकार के संकट, जैसे शारीरिक बीमारियाँ, मानसिक तनाव और कानूनी परेशानियाँ, समाप्त हो जाती हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से व्यापार, कार्यालय या घर में नकारात्मक ऊर्जा के नाश और वातावरण की शांति हेतु अत्यंत प्रभावी होता है।
यदि जीवन में कोई बड़ा संकट या गंभीर रोग उत्पन्न हो जाए, या शत्रु प्रबल रूप से परेशान कर रहा हो, तो पाशुपतास्त्र स्तोत्र का पाठ उस संकट का हल प्रदान करने में सहायक होता है। यह स्तोत्र कार्यों में अड़चनों और विघ्नों को दूर करता है, तथा साधक के लिए सफलता के द्वार खोलता है।
“पशुपतिनाथ का कृपापूरित मंत्र हमें हर संकट से उबारता है और जीवन में समृद्धि लाता है।”
Benefits
पाशुपतास्त्र स्तोत्र पाठ के लाभ
पाशुपतास्त्र स्तोत्र के नियमित पाठ से जीवन के समस्त विघ्न और रुकावटें दूर हो जाती हैं। यदि यह स्तोत्र सौ बार पाठित किया जाए, तो सभी प्रकार के कष्ट और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
- शत्रु भय से मुक्ति: इस स्तोत्र के पाठ से शत्रुओं का भय समाप्त होता है और युद्ध में विजय प्राप्त होती है।
- घरेलू क्लेशों का निवारण: घर और परिवार में उत्पन्न होने वाले सभी प्रकार के झगड़े और क्लेश समाप्त हो जाते हैं, वातावरण में शांति और सुख का वास होता है।
- कानूनी मामलों में सफलता: जो लोग कोर्ट, कचहरी या किसी मुकदमे से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह स्तोत्र विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसके पाठ से मुकदमा जीतने और कानूनी संघर्षों में सफलता मिलती है।
- विजय और समृद्धि: पाशुपतास्त्र स्तोत्र का जाप करने से साधक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विजय, समृद्धि और सफलता मिलती है।
“यह स्तोत्र न केवल मानसिक और भौतिक संकटों को दूर करता है, बल्कि साधक को सम्पूर्ण जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि का वरदान प्रदान करता है।”
Process
पाशुपतास्त्र स्तोत्र पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri
श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा,
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) – 1मुठ
- पान का पत्ता – 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- तुलसी पत्र –7
- पानी वाला नारियल
- शमी पत्र एवं पुष्प
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2 आदि
- अखण्ड दीपक –1
- देवताओं के लिए वस्त्र – गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि
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