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धन्वन्तरि त्रयोदशी (धनतेरस पर्व)

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Days

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धन्वन्तरि त्रयोदशी (धनतेरस पर्व)

Category

Description

About Puja :-

मासों में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था। भगवान धन्वंतरि को श्री नारायण का अवतार माना गया है और उन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन एवं दीपदान करने का विशेष महत्व है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों का प्रभाव पूरे विश्व पर बढ़ गया था और राजा बलि ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था, तब पराजित देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन का सुझाव दिया।

समुद्र मंथन देवताओं और दानवों के सामूहिक प्रयास से आरंभ हुआ। मंथन से सर्वप्रथम हलाहल विष निकला, जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। इसके बाद 14 बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए, जिन्हें देवताओं और दानवों ने बांट लिया। अंत में, भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए।

कार्तिक त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आयुर्वेदाचार्य के रूप में भगवान धन्वंतरि ने मानव जाति को आरोग्य का मार्ग दिखाया और आज भी उन्हें चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है।

Benefits :-

धनतेरस पर्व के लाभ एवं महत्व:

धनतेरस, जिसे धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहते हैं, भगवान धन्वंतरि को समर्पित पर्व है। इस दिन उनकी आराधना से कई आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं।

  • गृह कलह का नाश: भगवान धन्वंतरि की पूजा से परिवार में सुख-शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है।
  • दीर्घायु का वरदान: भगवान धन्वंतरि का पूजन करने से आरोग्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
  • अकाल मृत्यु से मुक्ति: शाम के समय दक्षिण दिशा में दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
  • सफलता की प्राप्ति: धन्वंतरि भगवान के पूजन से इच्छित फल और कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है।
  • खरीदारी का शुभ समय: इस दिन नए वाहन, आभूषण, बर्तन, और कपड़े खरीदना शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में समृद्धि आती है।

धनतेरस का पर्व आरोग्य, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। भगवान धन्वंतरि की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति का संचार होता है।

Process :-

धन्वन्तरि त्रयोदशी (धनतेरस पर्व) में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. नवग्रह मण्डल पूजन
  10. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  11. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  12. रक्षाविधान

Puja Samagri :-

श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती,

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध – 100ML
  • दही – 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) – 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
  • पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • विल्वपत्र – 21
  • तुलसी पत्र –7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – आदि 
  • अखण्ड दीपक –1
  • देवताओं के लिए वस्त्र –  गमछाधोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

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