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अभ्युदयसूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours

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अभ्युदयसूक्त पाठ एवं हवन

Category

Description

About Puja :-

महर्षि जैमिनि द्वारा रचित पूर्वमीमांसा दर्शन में “अभ्युदय” शब्द का उल्लेख लौकिक उन्नति और सर्वांगीण प्रगति के लिए किया गया है। अथर्ववेद के उत्तरार्ध में 17वें काण्ड में “अभ्युदय सूक्त” का वर्णन मिलता है। इस सूक्त के देवता आदित्य हैं और ऋषि ब्रह्मा को इसका द्रष्टा माना गया है।

इस सूक्त में परमेश्वर से दीर्घायु, सदाचार, ज्ञान और मानवीय गुणों की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। आत्मिक कल्याण और सर्वांगीण उन्नति के लिए अभ्युदय सूक्त का पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

इस सूक्त की आराधना करने से व्यक्ति को न केवल आत्मिक बल मिलता है, बल्कि शत्रुओं पर विजय पाने में भी सहायता मिलती है। इसे विशेष रूप से शत्रु बाधा दूर करने और विजय प्राप्त करने के लिए उपयोगी माना गया है।

Benefits :-

अभ्युदयसूक्त पाठ और हवन के लाभ

  • अटके हुए धन की प्राप्ति के लिए अभ्युदयसूक्त का पाठ और हवन अत्यंत प्रभावी है।
  • इस सूक्त के प्रभाव से लोग सहज ही प्रेमभाव से व्यवहार करने लगते हैं।
  • यह सूक्त भगवान की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है और शत्रुओं के प्रभाव से व्यक्ति को मुक्त करता है।
  • मिथ्या आरोपों और बदनामी से छुटकारा पाने के लिए अभ्युदयसूक्त का पाठ कल्याणकारी है।
  • सौभाग्य को प्रबल बनाने और जीवन में उन्नति के लिए यह सूक्त विशेष लाभकारी है।
  • बुद्धि की मन्दता को दूर कर तेजस्विता और सफलता दिलाने में सहायक है।
  • परमात्मा की अनवरत कृपा को प्राप्त करने के लिए इस सूक्त का पाठ श्रेष्ठ है।
  • शत्रुओं के द्वारा किए गए किसी भी अनिष्ट प्रभाव से बचाव में यह सूक्त अत्यंत सहायक है।
  • इस सूक्त की शक्ति से व्यक्ति के संपर्क में आने वाली हर वस्तु और व्यक्ति अनुकूल हो जाती है।

Process

अभ्युदयसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि

Puja Samagri :-

श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती 

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध – 100ML
  • दही – 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) – 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
  • पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • विल्वपत्र – 21
  • तुलसी पत्र –7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • थाली – 2 , कटोरी – 5 ,लोटा – 2 , चम्मच – आदि 
  • अखण्ड दीपक –1
  • देवताओं के लिए वस्त्र –  गमछा धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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