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शिवमहिम्न स्तोत्र

स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 45 min

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शिवमहिम्न स्तोत्र

Description

About Puja :-

शिवमहिम्न स्तोत्र का महत्त्व

शिवमहिम्न स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का अद्वितीय स्तवन है, जिसमें उनकी असीम शक्ति और करुणा का वर्णन किया गया है। इसका रचनाकर्ता पुष्पदंत नामक गंधर्व थे, जो शिव के परम भक्त माने जाते हैं। पुष्पदंत दिव्यशक्तियों से संपन्न थे और अदृश्य होकर शिवाराधना हेतु पुष्प चुराकर पूजा करते थे।

एक दिन, पुष्पचोरी का कारण जानने के लिए राजा ने वाटिका के मार्ग पर बिल्वपत्र और शिवनिर्माल्य बिछवा दिया। अनजाने में पुष्पदंत ने उस पवित्र सामग्री का उल्लंघन कर दिया, जिससे उनकी दिव्यशक्ति क्षीण हो गई। उड़ने में असमर्थ और अपनी भूल का अहसास होने पर उन्होंने भगवान शिव की स्तुति में अपने हृदय से काव्य रचकर प्रायश्चित किया। यही स्तुति कालांतर में शिवमहिम्न स्तोत्र के नाम से प्रसिद्ध हुई।

शिवमहिम्न स्तोत्र का प्रभाव

  • यह स्तोत्र शिवभक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना गया है।
  • भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और खोई हुई दिव्यशक्ति को पुनः अर्जित करने में सहायक है।
  • इसे श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने पर मानसिक शांति, शक्ति और अध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  • कठिन परिस्थितियों में यह स्तोत्र साधक के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम बनता है।

पाठ की विधि और लाभ
इस स्तोत्र का विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शुभ परिवर्तन आता है। शिवमहिम्न स्तोत्र भगवान शिव की उपासना का उत्कृष्ट माध्यम है और यह भक्त को उसके सांसारिक और आत्मिक दोनों प्रकार के कल्याण का अनुभव कराता है।

Benefits

शिवमहिम्न स्तोत्र पाठ के लाभ:

श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण होकर शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही क्षेत्रों में उन्नति प्रदान करता है।

  • शिवमहिम्न का पाठ करने से समस्त भय और कष्टों का निवारण होता है।
  • यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रभावशाली माध्यम है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में धन, दीर्घायु और शांति को प्राप्त करता है।
  • यह माना गया है कि यज्ञ, तपस्या, दान, और तीर्थ यात्रा भी उस लाभ को नहीं दे सकते, जो इस स्तोत्र के पाठ से प्राप्त होता है।
  • जिनके जीवन में मानसिक तनाव और कठिनाइयाँ हैं, उनके लिए यह पाठ कल्याणकारी माना गया है।
  • गंधर्वराज पुष्पदंत ने इसी स्तोत्र की रचना कर भगवान शिव की महिमा का गान किया, जिससे उन्हें खोया हुआ वैभव और देवताओं का सम्मान पुनः प्राप्त हुआ।

शिवमहिम्न स्तोत्र का नियमित पाठ करने वाला व्यक्ति सांसारिक सुखों के साथ-साथ अध्यात्मिक ज्ञान और भगवान शिव की अपार कृपा का अनुभव करता है।

Process

शिवमहिम्न स्तोत्र में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. नवग्रह मण्डल पूजनअधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  10. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवंपूजन 
  11. रक्षाविधानप्रधान देवता पूजन
  12. पाठ विधान
  13. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  14. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  15. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  16. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  17. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुतिचरुहोम
  18. भूरादि नौ आहुतिस्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  19. संस्रवप्राश, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  20. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
  21. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Puja Samagri

श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
  • गाय का दूध – 100ML
  • दही – 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) – 1मुठ 
  • पान का पत्ता – 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
  • पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव – 2
  • विल्वपत्र – 21
  • तुलसी पत्र –7
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पानी वाला नारियल
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – आदि 
  • अखण्ड दीपक –1
  • देवताओं के लिए वस्त्र –  गमछाधोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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