Description
About Puja :-
उदक शांति पूजा का महत्व
हर धार्मिक अनुष्ठान, चाहे वह देवपूजन हो, जप, ध्यान, या कोई अन्य प्रक्रिया, जीवन में शांति, समृद्धि और कल्याण प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। लेकिन उदक शांति पूजा विशेष रूप से किसी व्यक्ति के निधन के उपरांत उनके पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए संपन्न की जाती है। इस पूजा का उद्देश्य दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करना और परिवार पर आने वाले संकटों का निवारण करना होता है।
जल का महत्व
वेदों में जल को दिव्य और औषधीय बताया गया है:
- “आपो वै सर्वस्य भेषजी:” (जल सभी रोगों की औषधि है)।
- “आपो वै देवतानां प्रियं धाम” (जल देवताओं का प्रिय स्थान है)।
जल को ब्रह्म का प्रतीक माना गया है, क्योंकि यह निराकार होते हुए भी अपने पात्र का आकार ले लेता है। इसीलिए उदक शांति पूजा में जल का अभिमंत्रण कर भगवान वरुण और गंगा जैसी पवित्र नदियों का आवाहन किया जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार
यदि किसी व्यक्ति का पिंडदान, तर्पण या श्राद्ध विधिपूर्वक न हो, तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। ऐसी आत्माओं को मुक्ति प्रदान करने के लिए उदक शांति पूजा का विधान है। यह पूजा न केवल दिवंगत आत्माओं के कल्याण के लिए की जाती है, बल्कि परिवार पर पड़े किसी भी संकट, अकाल मृत्यु, या नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली है।
उदक शांति पूजा के लाभ
- जल को वैदिक मंत्रों से अभिमंत्रित कर घर और परिवार को हर प्रकार की बुरी आत्माओं, नकारात्मक ऊर्जाओं और कुदृष्टि से मुक्त किया जाता है।
- अभिमंत्रित जल का छिड़काव पूरे घर में करने से शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- पितरों की प्रसन्नता और आत्मा की शांति के माध्यम से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
- यह पूजा मानसिक और भावनात्मक शांति प्रदान करती है और परिवार के सदस्यों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करती है।
पूजा प्रक्रिया
इस पूजा में जल को मंत्रों से शुद्ध किया जाता है और भगवान वरुण को कलश में स्थापित किया जाता है। फिर गंगा और अन्य पवित्र नदियों का आवाहन किया जाता है। पूजा के दौरान जल को पूरे घर में छिड़का जाता है, विशेषकर शयनकक्ष और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर।
यह अनुष्ठान हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसे विधिपूर्वक संपन्न करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार में हर प्रकार की बाधा दूर होती है।
Benefits
उदक शांति पूजा के लाभ
पितरों का आशीर्वाद और मोक्ष प्राप्ति
- इस पूजा के माध्यम से पितृदोष, पितृऋण और जन्म-जन्मांतर के अशुभ कर्मों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- दिवंगत आत्माओं को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
जीवन में बाधाओं का निवारण
- व्यापार, नौकरी, शिक्षा और दांपत्य जीवन में आने वाली अड़चनों का समाधान होता है।
- किसी भी प्रकार की पारिवारिक कलह, अशांति या संकट दूर होते हैं।
गर्भस्थ शिशु और परिवार की रक्षा
- गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर आने वाले हर प्रकार के संकट से सुरक्षा प्रदान करती है।
- पूरे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
व्यक्तिगत और व्यावसायिक उन्नति
- इस पूजा को कार्यालय, दुकान, या किसी अन्य व्यावसायिक स्थान पर कराने से व्यापार और व्यवसाय में प्रगति होती है।
- कार्यक्षेत्र में सकारात्मक वातावरण बनता है, जिससे सफलता की संभावनाएं बढ़ती हैं।
सद्भाव और आध्यात्मिक जागृति
- परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समझ, प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।
- मनोबल और सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- इस पूजा से घर, कार्यालय, या किसी भी स्थान पर व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
- स्थान की शुद्धि और शांति के लिए यह पूजा अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।
अनुकूल परिणामों के लिए प्रभावी उपाय
- यह पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले, जैसे गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करने, या किसी बड़े निर्णय से पहले करवाई जा सकती है।
- शुभ फलों की प्राप्ति और सफलता सुनिश्चित करने के लिए यह पूजा हर दृष्टि से लाभकारी होती है।
Puja Samagri
श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा,जौ
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा,
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) – 1मुठ
- पान का पत्ता – 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- तुलसी पत्र –7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2 आदि
- अखण्ड दीपक –1
- पानी वाला नारियल
- देवताओं के लिए वस्त्र – गमछा, धोती आदि
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- बैठने हेतु दरी, चादर, आसन
- गोदुग्ध, गोदधि
Reviews
There are no reviews yet.