Description
About Puja :-
नक्षत्रों का महत्व और गण्डमूल दोष
भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों को जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालने वाला प्रमुख कारक माना गया है। कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है, जिनका सीधा संबंध व्यक्ति की सोच, स्वभाव, जीवनशैली और भविष्य से होता है। ये नक्षत्र जातक के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में शुभ और अशुभ प्रभाव डालते हैं।
गण्डमूल नक्षत्र क्या हैं?
27 नक्षत्रों में से छह विशेष नक्षत्रों को गण्डमूल नक्षत्र कहा गया है। ये हैं:
- आश्लेषा
- मघा
- ज्येष्ठा
- मूल
- रेवती
- अश्विनी
इन नक्षत्रों के कुछ चरण विशेष दोषयुक्त माने गए हैं। इन नक्षत्रों में जन्मे बालक या बालिका को गण्डमूल दोष से प्रभावित माना जाता है। ऐसी संतान के जन्म को माता-पिता, परिवार और स्वयं बच्चे के जीवन में विभिन्न प्रकार के कष्टकारी प्रभाव लाने वाला कहा गया है।
गण्डमूल दोष का प्रभाव
गण्डमूल दोष से प्रभावित जातक के स्वास्थ्य, आयु, धन, व्यवसाय, परिवार और मान-प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण माता-पिता, भाई-बहन या अन्य परिजनों को भी मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मूल दोष शांति क्यों आवश्यक है?
गण्डमूल दोष को शांत करना अत्यंत आवश्यक है ताकि जातक और उसके परिवार के जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सके। मूल दोष शांति के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जन्म के 27वें दिन या किसी उपयुक्त समय पर, जातक के नक्षत्र में, वेदविहित विधि के अनुसार सुयोग्य ब्राह्मण द्वारा विशेष पूजा, हवन और ग्रह शांति कराई जाए।
यदि 27वें दिन मूल दोष शांति न हो सके, तो भविष्य में किसी शुभ मुहूर्त में या अगले जन्मदिन के समय इस दोष निवारण के लिए पूजा अनिवार्य मानी जाती है। यह प्रक्रिया न केवल परिवार की समृद्धि और शांति के लिए आवश्यक है, बल्कि जातक के जीवन को भी सकारात्मक दिशा प्रदान करती है।
गण्डमूल दोष शांति का लाभ
- पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- जातक के स्वास्थ्य और आयु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- व्यवसाय और धन संबंधी कष्टों का निवारण होता है।
- जीवन में आने वाले अरिष्ट और विघ्न बाधाएं समाप्त होती हैं।
गण्डमूल दोष शांति से जातक और उसका परिवार हर प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से सुरक्षित रहता है, जिससे उनके जीवन में खुशहाली और संतुलन बना रहता है।
Benefits
गण्डमूल नक्षत्रों की शांति के शुभ और अशुभ फल
गण्डमूल नक्षत्रों के प्रत्येक चरण का जातक के जीवन पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। यह नक्षत्रों के विभिन्न चरणों में उत्पन्न होने वाले जातकों के लिए शुभ और अशुभ परिणाम उत्पन्न करते हैं। प्रत्येक नक्षत्र और उसके चरण के आधार पर जीवन में सुख, दुःख, धन और स्वास्थ्य संबंधी लाभ और हानि होती है।
- रेवती नक्षत्र:
- प्रथम चरण: इस चरण में जन्म लेने वाले जातक राजा के समान ऐश्वर्य और सम्मान प्राप्त करते हैं।
- द्वितीय चरण: जातक के जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- तृतीय चरण: जीवन में सुख-सुविधाएं और संपत्ति का विस्तार होता है।
- चतुर्थ चरण: इस चरण में जन्म लेने वाले जातक जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करते हैं।
- अश्विनी नक्षत्र:
- प्रथम चरण: पिता को कष्ट और धन हानि का सामना करना पड़ता है।
- द्वितीय चरण: धन का अपव्यय और व्यक्तिगत जीवन में अस्थिरता होती है।
- तृतीय चरण: पिता को अचानक यात्रा का सामना करना पड़ता है।
- चतुर्थ चरण: जातक के लिए जीवन में कई अनिष्टकारी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं।
- आश्लेषा नक्षत्र:
- प्रथम चरण: इस चरण में जन्म लेने वाले जातक राजा के समान सुख प्राप्त करते हैं।
- द्वितीय चरण: जातक को धन की हानि और पारिवारिक संघर्षों का सामना करना पड़ता है।
- तृतीय चरण: माता या मामा पक्ष को हानि पहुंचती है।
- चतुर्थ चरण: जातक के पिता को मृत्यु तुल्य कष्टों का सामना करना पड़ता है।
- मघा नक्षत्र:
- प्रथम चरण: माता या मातृपक्ष को हानि होती है।
- द्वितीय चरण: पिता के लिए कष्टदायक और अरिष्टकारी स्थितियां उत्पन्न होती हैं।
- तृतीय चरण: धन, संपत्ति, ऐश्वर्य और शांति की प्राप्ति होती है।
- चतुर्थ चरण: जातक को जीवन में उच्च विद्या, संपत्ति और सुखों की प्राप्ति होती है।
- ज्येष्ठा नक्षत्र:
- प्रथम चरण: बड़े भाई को हानि होती है।
- द्वितीय चरण: छोटे भाई के लिए कष्टकारी परिणाम होते हैं।
- तृतीय चरण: माता या ननिहाल पक्ष को हानि पहुंचती है।
- चतुर्थ चरण: इस चरण में जन्म लेने वाला जातक स्वयं के लिए अशुभ फल प्राप्त करता है।
- मूल नक्षत्र:
- प्रथम चरण: पिता के लिए जीवन में कष्ट और विघ्न उत्पन्न होते हैं।
- द्वितीय चरण: माता को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- तृतीय चरण: पैतृक संपत्ति का नाश और दुख का सामना करना पड़ता है।
- चतुर्थ चरण: इस चरण में जन्म लेने वाले जातक के लिए धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष:
गण्डमूल नक्षत्रों का प्रभाव जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के सुख और दुःख उत्पन्न कर सकता है। इन नक्षत्रों में जन्मे बच्चों के लिए विशिष्ट पूजा, हवन और शांति अनिवार्य होती है ताकि जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सके और सुख-संपत्ति की प्राप्ति हो सके।
Puja Samagri
श्रद्धा के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास) – 1मुठ
- पान का पत्ता – 07
- पुष्पविभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 ( विभिन्न प्रकारका)
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- पानी वाला नारियल,
- तुलसी पत्र –7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली – 2 , कटोरी – 5 ,लोटा – 2 , चम्मच – 2 आदि
- अखण्ड दीपक –1
- देवताओं के लिए वस्त्र –गमछा, धोतीआदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि,गोबर
- सौ छिद्र वाला घड़ा (कलश)
- 27 तीर्थों का जल
- 27 जगह की मिट्टी
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