Description
About Puja :-
गृह प्रवेश एवं वास्तु शान्ति पूजा
आपके नए घर या कार्यालय में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होना अत्यंत आवश्यक है। गृह प्रवेश पूजा और वास्तु शान्ति पूजा दोनों ही इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद करती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर और कार्यालय का सही तरीके से निर्माण, और ऊर्जा का सही प्रवाह जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाता है। जब घर या कार्यालय में वास्तु दोष होते हैं, तो यह न केवल पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, बल्कि निवासियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में, गृह प्रवेश एवं वास्तु शान्ति पूजा विशेष रूप से इन दोषों को दूर करने और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है।
पूजा का उद्देश्य:
- घर या कार्यालय में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करना।
- वास्तु दोषों को दूर करना और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाना।
- घर के वातावरण में समृद्धि और सौभाग्य लाना।
- परिवार और कार्यालय के सदस्यों के जीवन में शारीरिक और मानसिक शांति स्थापित करना।
नए घर में प्रवेश करने से पहले वास्तु के अनुसार ऊर्जा का सही प्रवाह सुनिश्चित करना।
Process (पूजा विधि) :-
गृह प्रवेश एवं वास्तु शान्ति पूजा – SHRADDHA द्वारा प्रस्तुत विधि
गृह प्रवेश एवं वास्तु शान्ति पूजा में विभिन्न विधियों का पालन किया जाता है, ताकि आपके घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके और समृद्धि, शांति एवं सौभाग्य का वास हो। SHRADDHA की ओर से की जाने वाली गृह प्रवेश एवं वास्तु शान्ति पूजा में निम्नलिखित प्रयोग या विधियाँ शामिल हैं:
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ: पूजा की शुरुआत में स्वस्तिवाचन और शांति पाठ से वातावरण को शुद्ध किया जाता है।
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प: यजमान के द्वारा संकल्प लिया जाता है ताकि पूजा विधि पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ संपन्न हो सके।
- गणपति गौरी पूजन: घर में सुख-शांति और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए गणपति और गौरी की पूजा की जाती है।
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन: कलश स्थापन के द्वारा घर के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मकता का वास सुनिश्चित किया जाता है, साथ ही वरुणादि देवताओं की पूजा होती है।
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक: पुण्य की प्राप्ति और सकारात्मक प्रभाव के लिए मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है और अभिषेक किया जाता है।
- षोडशमातृका पूजन: घर के वातावरण को शुद्ध करने और सकारात्मकता लाने के लिए षोडशमातृका पूजन किया जाता है।
- सप्तघृतमातृका पूजन: इस पूजा के माध्यम से घर में समृद्धि और सुख-शांति का संचार किया जाता है।
- आयुष्यमन्त्रपाठ: घर के सभी सदस्य की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुष्यमंत्र का जाप किया जाता है।
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध): घर में शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए यह क्रियाएँ की जाती हैं।
- नवग्रह मण्डल पूजन: नवग्रहों का पूजन करके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है।
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन: यह पूजन घर की संरचना और उसकी उर्जा को समृद्ध करता है।
- पञ्चलोकपाल, दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन: घर और वातावरण की सुरक्षा के लिए इन देवताओं का पूजन किया जाता है।
- रक्षाविधान आदि: घर के प्रत्येक क्षेत्र की रक्षा के लिए रक्षाविधान किया जाता है।
- पंचभूसंस्कार: पंचमहाभूतों की पूजा करके घर के ऊर्जा संतुलन को स्थापित किया जाता है।
- अग्नि स्थापन: आग की पूजा के द्वारा घर में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- ब्रह्मा वरण: ब्रह्मा की पूजा से घर में सकारात्मकता और सौभाग्य का वास होता है।
- कुशकण्डिका: पूजा में विशेष रूप से कुश की हवन सामग्री का प्रयोग होता है।
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन: घर के ऊर्जा संतुलन के लिए हवन और आहुति प्रदान की जाती है।
- घृताहुति: घी की आहुति से घर में समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
- मूलमन्त्र आहुति: विभिन्न मंत्रों के साथ आहुति दी जाती है, जिससे घर में समृद्धि का वास होता है।
- चरुहोम: पूजा में आहुति का यह विधि संपन्न होती है, जिससे नकारात्मकता का नाश होता है।
- भूरादि नौ आहुति: नौ प्रकार की आहुति दी जाती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- स्विष्टकृत आहुति: इस आहुति से घर में शांति और सौभाग्य का वास होता है।
- पवित्रप्रतिपत्ति: यह पूजा घर में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- संस्रवप्राशन: यह विधि घर में समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है।
- मार्जन: घर के वातावरण को शुद्ध करने और नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस विधि का पालन किया जाता है।
- पूर्णपात्र दान: पूजा के अंत में पूर्णपात्र दान किया जाता है, जिससे देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- प्रणीता विमोक: इस विधि के द्वारा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार सुनिश्चित किया जाता है।
- मार्जन: वातावरण को शुद्ध और संतुलित करने के लिए यह विधि की जाती है।
- बर्हिहोम: घर में समृद्धि और शांति के लिए बर्हिहोम किया जाता है।
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि: पूजा के अंतिम चरण में आहुति, आरती और भोग अर्पित किए जाते हैं, जिससे घर में समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
SHRADDHA की ओर से की जाने वाली यह विधि पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न होती है, ताकि आपके घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके और समृद्धि, शांति एवं सौभाग्य का वास हो।
Puja Samagri :-
श्रद्धा द्वारा प्रदान की जाने वाली पूजन सामग्री
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना (बड़ा साइज), पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल (छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा (सूती)
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र:
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी, गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र (कटोरी या भगोनी)
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय – एक सेट
- हवन कुण्ड (ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच)
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का – 1
- गाय का दूध – 100ML
- दही – 50ML
- मिष्ठान्न (आवश्यकतानुसार)
- फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार)
- दूर्वादल (घास) – 1 मुठी
- पान का पत्ता – 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार – 2 kg
- पुष्पमाला – 7 (विभिन्न प्रकार की)
- आम का पल्लव – 2
- विल्वपत्र – 21
- तुलसी पत्र – 7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- पानी वाला नारियल
- थाली – 2, कटोरी – 5, लोटा – 2, चम्मच – 2 आदि
- अखण्ड दीपक – 1
- देवताओं के लिए वस्त्र – गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी, चादर, आसन
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- गोदुग्ध, गोदधि
SHRADDHA के द्वारा दी जाने वाली यह पूजन सामग्री आपके घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक तैयार की जाती है।
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